भारतीय सेना में महिलाओं ने बढ़ाया देश का मान , दर्शाया नारी शक्ति का प्रदर्शन

वो समय गया जब महिलाओं को कमजोर कहा जाता था। महिलाओं की ताकत और उनके टैलेंट को सारी दुनिया ने देखा और सराहा है। आज की महिलाएं भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी मजबूत हो चुकी हैं। खेल, सिनेमा, शिक्षा, साइंस से लेकर पॉलिटिक्स तक हर जगह महिलाओं ने न सिर्फ अपनी भागीदारी को बढ़ाया है, बल्कि अपने कौशल और प्रतिभा का लोहा भी मनवाया है।


भारतीय सेना में महिलाओं का महत्व

भारतीय महिला परिवार की देखभाल करने वाली मां, पत्नी या बहु नहीं रहीं बल्कि देश और समाज की रक्षक बन गई हैं। आज स्पोर्ट्स में महिलाएं भारत के लिए सबसे अधिक मेडल ला रही हैं। आईआईटी, आईआईएम से लेकर यूपीएससी जैसी मुश्किल परीक्षा में टॉप लिस्ट में लड़कियों का नाम छाया रहता है।

ये महिलाएँ भारतीय सेना में शामिल होकर देश की रक्षा के लिए युद्ध करने को भी तैयार रहती हैं। लेकिन आज की महिलाओं में ये जोश भरने, उनके लिए घर की चारदीवारी से निकल सीमा सुरक्षा के लिए वर्दी पहनने का रास्ता साफ करने में कुछ महिलाओं का ही बड़ा योगदान है। आज कई महिलाएं शामिल हैं। लेकिन अब महिलायें फाइटर प्लेन भी उड़ा रही है।आईए जानें कुछ महिलाओं के बारे में जिन्होनें अपने जज्बे और हिम्मत से देश का नाम मान बढ़ाया।

भारतीय सेना की जांबाज नारी शक्ति

1. गुंजन सक्सेना

गुंजन सक्सेना कारगिल गर्ल के नाम से भी जानी जाती है, यह वही गुंजन सक्सेना हैं जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के सामने अपना दमखम दिखाया। कारगिल युद्ध में भारत की तरफ से बतौर पायलट गुंजन सक्सेना ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।


गुंजन सक्सेना पहली महिला पायलट थीं, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तान को टक्कर दी थी। फ्लाइट लेफ्टिमेंट गुंजन सक्सेना के जीवन पर फिल्म भी बन चुकी है। गुंजन सक्सेना शौर्यवीर अवार्ड से सम्मानित हो चुकी हैं।

2. पुनीता अरोड़ा


आज भले ही भारतीय सेना में कई महिला अधिकारी हों लेकिन भारतीय नौसेना की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल पुनीता अरोड़ा थीं।, कहते हैं कि पुनीता अरोड़ा महिलाओं के लिए सेना में आने की वजह बनी।पुनीता अरोड़ा का जन्म 13 अक्टूबर 1932 में, लाहौर प्रांत में हुआ था। तब लाहौर भारत का अंग था। 1963 में पुनीता ने आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज में टॉप किया था। 2004 में पुनीता को आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज के कमांडेंट का चार्ज मिल गया और वो पहली महिला थीं जिसे ये उपाधि दी गई थी।


रिटायरमेंट के पहले पुनीता आर्मी में डर्मेटोलॉजिस्ट के तौर पर भी काम करती थीं और उनके पति रिटायर्ड ब्रिगेडियर रहे थे।बता दें कि पुनीता अरोड़ा ने भारतीय नौसेना में लगभग 36 वर्षों तक अपनी सेवाएं दीं और इस दौरान उन्होंने कई मेडल भी प्राप्त किए।

3. पहली महिला शहीद किरण शेखावत 


भारतीय सेना की महिलाओं का जिक्र होगा तो किरण शेखावत का नाम जरूर लिया जाता रहेगा। किरण शेखावत ऑन ड्यूटी शहीद होने वाली पहली महिला थी। 1 मई 1988 को राजस्थान के सेफरागुवार में जन्मी शहीद किरण शेखावत राजस्थान की रहने वाली थीं। गोवा में साल 2015 को 24 मार्च की रात डॉर्नियर निगरानी विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में लेफ्टिनेंट किरण शेखावत शहीद हो गई थीं।


2010 में 22 साल की उम्र में भारतीय नौसेना हुयी भर्ती और सेना में पांच साल की सेवा के बाद वह शहीद हो गईं। भारतीय नौसेना में ऑन ड्यूटी शहीद होने वाली देश की पहली महिला अधिकारी ले. किरण शेखावत का अंतिम संस्कार उनके ससुराल हरियाणा के गांव कुथरला में किया गया।

4.पहली महिला एयर मार्शल पद्मावती बंदोपाध्याय


आपको बता दें कि पद्मावती बंदोपाध्याय इंडियन वायुसेना की पहली महिला एयर मार्शल थीं। साल 1968 में वो वायुसेना में शामिल हुई थी और 34 साल कार्यरत रहने के बाद उन्हें साल 2002 में एयर वाइस मार्शल के पद पर तैनाती हुई।


उन्हें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके आचरण के लिए विशिष्ट सेवा पदक (वीएसएम) से सम्मानित किया गया था। सती नाथ और पद्मा एक ही निवेश परेड में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले IAF युगल थे ।

5. दिव्या अजित कुमार


मात्र 21 साल की उम्र में सेना की स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल करने वाली पहली महिला कैडेट का नाम दिव्या अजित कुमार है।वर्ष 2010 में, कैप्टन दिव्या अजीत कुमार को सेना के वायुरक्षा कोर में नियुक्ति मिली।

कैप्टन दिव्या केवल बहादुर ही नहीं, बल्कि नृत्य और कला के गुण भी रखती हैं। वो भरतनाट्यम नृतक भी हैं साथ ही वो बास्केटबॉल और डिसकस थ्रो की भी अच्छी खिलाड़ी हैं।


कहते हैं महिला जो एक बार ठान लेती है उसे पूरा करके रहती है उसका सबसे बड़ा उदाहरण ये महिलाँए है जिन्होंने अपना नाम भारत देश में रोशन करके दिखाया है। उनके जीवन से हर देश की बेटी को प्रेरणा लेनी चाहिए और सीख लेनी चाहिए कि किस तरह से वे अपने माता-पिता के साथ साथ अपने देश का नाम भी रोशन करके वीरता पुरस्कार जैसे कहीं पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं।

FAQ

Q. भारतीय सेना की पहली महिला जवान कौन थी?

Ans – पहली महिला जवान थीं शांति तिग्गा.

Q. क्या भारत में महिला कमांडो बन सकते हैं ?

Ans – जी हाँ , सीमा राव देश की पहली महिला कमांडो ट्रेनर हैं।

Q. क्या एक महिला आर्मी ऑफिसर शादी कर सकती है ?

Ans – हाँ , शादी करने , गर्भावस्था , मातृत्व अवकाश,आदि जैसे सेवा लाभों पर कोई रोक नहीं है

Q. आर्मी में जाने के लिए लड़कियों की लम्बाई कितनी होनी चाइये ?


Ans – मिनिमम हाइट 152 सेंटीमीटर


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